Tuesday, August 23, 2016

चील गिद्ध कौओं का इतना ही याराना है

चील गिद्ध कौओं का इतना ही याराना है 
एक ज़िंदा कौम को बस लाश सा बनाना है 



लाश बनते तक ज़रा माहौल भी बनाना है 
चिल्ल-पों कांव-कांव नारा लगाना है 



मरते हुए को और ये एहसान भी जताना है 
कि इस तरह से उनको आज़ाद ही कराना है

इक दूसरे को तब तलक धीरे से कुहनियाना है
और साथ साथ आँखों में चुपके से मुस्कियाना है

सियार भेड़ियों को भी इस खेल में मिलाना है
और भोंपुओं के बीच भी , लोथड़ा गिराना है

आप ना मायूस हों, ये यूं ही आना जाना है
शुक्रवार है आपको वीकेंड भी मनाना है


तो मनाते हैं वीकेंड किशोर कुमार के साथ -----

- फेसबुक पर प्रकाशित (४ मार्च २०१६)

(सन्दर्भ - JNU प्रकरण में राष्ट्रीयता की खिल्ली उड़ाने की हद तक पहुँच जाने वाले प्रगतिशीलों के लिए)

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