ठलुआ (उर्फ ठेलुहा उर्फ ठलुहा)
वाह वाहक्या बात है... जो बात इस छोटी सी कविता में है, वो बड़े बड़े चिट्ठो मे कहाँ.लगे रहो मिंया......
ई जापानी हायकू कविता हैइसके चक्कर में पडता कायकू?याकोयल रही है कूकमन में उठी है हूक'चौचक' खिली है धूपभाड में गया निमंत्रणचट से तुम उठोपट से बना लाओ 'सूप'.
ई जापानी कविता है हायकू इसके चक्कर में पडता कायकू?याकोयल रही है कूकमन में उठी है हूक'चौचक' खिली है धूपभाड में गया निमंत्रणचट से तुम उठोपट से बना लाओ 'सूप'.
कउन हौ तुम बेनाम,तनिक बतलाया जाय नाम ।नहीं तो हमीं पी जायेंगे सूप,तुम सेंकते रह जाओगे धूप ।
नाम-वाम में क्या रक्खा हैअसल चीज है काम.तुम नाम पूंछते रह जाओगेयहां चला जायेगा घाम.चला जायेगा घाम -बहुत तुम तब पछताओगे.'सूप'भला क्या पी पाओगे-ठिठुरोगे,हाथ मसलते रह जाओगे.'सूप'अभी तो समय लगेगाचाय कडक मंगवायी है,लपक के तुम भी आ जाओये देखो कोयल भी कुकयायी है.
भाषा तो वही है बिलकुल,लगते हो तुम हमको शुकुल।अब जो अकेले पियोगे चायतो झेल न पाओगे हमारी हायअब जो तुमने किया है ये झामछोड़ के सारे काम धामखुद तो छाँही में बैठे होहमको दिखलाते हो घामअब न छाँटो ये लन्तरानीचिरकुटई की है लंबी कहानीटाइम बहुत हो गया अगर हैसो जाओ अब पीकर पानी
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7 comments:
वाह वाह
क्या बात है...
जो बात इस छोटी सी कविता में है, वो बड़े बड़े चिट्ठो मे कहाँ.
लगे रहो मिंया......
ई जापानी हायकू कविता है
इसके चक्कर में पडता कायकू?
या
कोयल रही है कूक
मन में उठी है हूक
'चौचक' खिली है धूप
भाड में गया निमंत्रण
चट से तुम उठो
पट से बना लाओ 'सूप'.
ई जापानी कविता है हायकू
इसके चक्कर में पडता कायकू?
या
कोयल रही है कूक
मन में उठी है हूक
'चौचक' खिली है धूप
भाड में गया निमंत्रण
चट से तुम उठो
पट से बना लाओ 'सूप'.
कउन हौ तुम बेनाम,
तनिक बतलाया जाय नाम ।
नहीं तो हमीं पी जायेंगे सूप,
तुम सेंकते रह जाओगे धूप ।
नाम-वाम में क्या रक्खा है
असल चीज है काम.
तुम नाम पूंछते रह जाओगे
यहां चला जायेगा घाम.
चला जायेगा घाम -
बहुत तुम तब पछताओगे.
'सूप'भला क्या पी पाओगे-
ठिठुरोगे,हाथ मसलते रह जाओगे.
'सूप'अभी तो समय लगेगा
चाय कडक मंगवायी है,
लपक के तुम भी आ जाओ
ये देखो कोयल भी कुकयायी है.
भाषा तो वही है बिलकुल,
लगते हो तुम हमको शुकुल।
अब जो अकेले पियोगे चाय
तो झेल न पाओगे हमारी हाय
अब जो तुमने किया है ये झाम
छोड़ के सारे काम धाम
खुद तो छाँही में बैठे हो
हमको दिखलाते हो घाम
अब न छाँटो ये लन्तरानी
चिरकुटई की है लंबी कहानी
टाइम बहुत हो गया अगर है
सो जाओ अब पीकर पानी
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