मेरा आजकल प्रेरित होने का टाइम चल रहा है| घूम-घूम के, छांट-छांट के,
चुन-चुन के प्रेरित हो रहे हैं| कुछ काम नहीं था तो एक व्यंगकार जी से २-४
छटांक प्रेरणा काटी और चढ़ा लिए कुछ घूँट!
अब लो झेलो, प्रेरणा अन्दर और कुछ कवितायें कूद के बाहर| कसम से - रोकने की कोशिश बहुत की, मगर जब दिमागी डायरिया होता है तो ऐसे ही प्रवाहमान होता है |
हमारे एक मित्र ने कह दिया - क्या चीज़ हो? तो हमने जवाब यों दिया-
अब चलें, दो-चार ब्लॉगर जन के यहाँ टीप आयें, उनको अपने ब्लॉग का लिंक दे आयें| उम्मीद करते हैं ऐसा करने का बाद, 'अद्भुत' , 'करारा व्यंग' , 'ज़बरदस्त चपत' और 'बहुत ही प्यारा' आदि की प्रति-टीप देखने को मिलेगी
ठीक है, अब जब इतना पढ़ लिया है तो और मुलाहिजा -
वाकई अद्भुत!!
ई ल्यो , फिर कविता ससुरी निकल पड़ी|
लिख तो दिए हैं, न समझ पाए हो तो कोई पुरस्कार दिलवाओ न इसपर !!
(और जो समझ गए तो हमको भी भी बताना कि ई का भरा है हमरे अन्दर )
अब लो झेलो, प्रेरणा अन्दर और कुछ कवितायें कूद के बाहर| कसम से - रोकने की कोशिश बहुत की, मगर जब दिमागी डायरिया होता है तो ऐसे ही प्रवाहमान होता है |
हमारे एक मित्र ने कह दिया - क्या चीज़ हो? तो हमने जवाब यों दिया-
अहाहा ! लिख कर मैं खुद पर मुग्ध हुआ | मित्र न हुए, न सही - खुद न लिख पाने का अहसास कचोट गया होगा उनको |क्या चीज़ हो?
अरे, तो ये नाचीज़ भी कोई चीज़ है !
अगर कोई चीज़ चीज़ न हो
तो क्या नाचीज़ होती है?
चीज़ बन जाऊंगा
तो क्या मेरा मोल लग जाएगा?
क्या दूकान पर बिक जाऊंगा?
जो ज्यादा बिक गया
तो क्या सर्वोत्तम चीज़ का पुरस्कार ले आऊँगा?
अब चलें, दो-चार ब्लॉगर जन के यहाँ टीप आयें, उनको अपने ब्लॉग का लिंक दे आयें| उम्मीद करते हैं ऐसा करने का बाद, 'अद्भुत' , 'करारा व्यंग' , 'ज़बरदस्त चपत' और 'बहुत ही प्यारा' आदि की प्रति-टीप देखने को मिलेगी
ठीक है, अब जब इतना पढ़ लिया है तो और मुलाहिजा -
मेरे कविता चलती नहीं
क्योंकि इसके पैर नहीं होते
मेरी कविता बोलती नहीं
इसके अपना (सा) मुंह भी नहीं है
मुंह नहीं है इसलिए कि इसके पास सर नहीं है
तो क्या मेरी कविता बेसिरपैर की है?
वाकई अद्भुत!!
प्रेरणा सप्लाई ज़ारी है,
ये की बोर्ड ही धीरे चलता है |
विचार तेज़ आते हैं|
विचार को अगर ज़ल्दी यूज़ ना करो,
तो विचार अचार बन जाते हैं|
फिर हमारे आचार-विचार को प्रभावित करते हैं |
और हमारा यों प्रचार करते हैं
कि हम लाचार हो जाते हैं
कि हम समाचार हो जाते हैं
ई ल्यो , फिर कविता ससुरी निकल पड़ी|
लिख तो दिए हैं, न समझ पाए हो तो कोई पुरस्कार दिलवाओ न इसपर !!
(और जो समझ गए तो हमको भी भी बताना कि ई का भरा है हमरे अन्दर )
3 comments:
Oshadharon !!!
बहुत खूब | ब्लॉग फॉलो करने के लिए विजेट लगायें |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
यहाँ सेट के बारे में दिलचस्प लेख का खजाना ऊपर साइट के लिए [url=http://title-publishing.org/]религия в россии[/url].
Post a Comment